वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
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वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
जो यह पाठ करे मन get more info लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥